दमा रोग से बचाव के लिए सावधानी ही सबसे बेहतर उपाय

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कहावत है कि दमा दम के साथ ही जाता है। अर्थात दमा रोग को खत्म करना संभव नहीं है। हां रोग की तीव्रता कम की जा सकती है। रोगी को उपचार द्वारा सांस लेना आसान बनाया जा सकता है। चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा को दूर रखने के लिए जागरूकता और सावधानी बरतना ही सबसे बेहतर उपाए है।

मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है कि इस रोग के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जागरूक कर इससे बचाया जाए। जिले में भी अस्थमा के रोगी बड़ी संख्या में है। पर अलग से इसका कोई सर्वे नहीं होने से यह बता पाना मुश्किल है कि कितने लोग इस रोग से पीड़ित हैं। दमा या अस्थमा के मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है, दम फूल जाता है, खांसी आती है, वह भी बलगम वाली। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। दमे के मरीज को रात में ज्यादातर परेशानी होती है। बढ़े हुए दमा में मरीज को खांसी का दौरा भी पड़ सकता है, जो कुछ घंटों तक भी जारी रह सकता है। यहां तक कि दौरे के दौरान मरीज की मौत भी हो सकती है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है।पुरुषों में इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है, बच्चों को यह अपनी गिरफ्त में जल्दी ले लेता है।

इन लक्षणों को पहचाने – डॉक्टर्स के मुताबिक सांस लेने में परेशानी होना, दम घुटना, सांस लेते समय आवाज होना, सांस फूलना, छाती में कुछ जमा हुआ सा या भरा हुआ सा महसूस होना, बहुत खांसने पर चिकना कफ आना, परिश्रम का काम करते समय सांस फूलना आदि लक्षण दमे के होते हैं। ऐसे में चिकित्सक से संपर्क करें।

ये हैं अस्थमा के कारण – चिकित्सकों का कहना है कि मेडिकल साइंस में दमा का कारण वंशानुगत भी माना गया है। दमे के मरीज के परिवार में पहले किसी को यह बीमारी रही हो, तो यह भी एक कारण होता है वर्तमान मरीज के लिए। अनुवांशिकता के अलावा अन्य कारणों में एलर्जिक कारण होते हैं। मरीज को कुछ वस्तुओं से एलर्जी हो सकती है इससे भी दमा होता है। इसके अलावा धुएं व धूल के संपर्क में ज्यादा रहना, रूई, रेशे आदि के बीच काम करना, दमघोंटू माहौल में रहने या काम करने को मजबूर होना, ठंडे माहौल में ज्यादा रहना, ठंडे पेय एवं ठंडी वस्तुओं का सेवन करते रहना, धूम्रपान, प्रदूषण आदि ऐसे कारक हैं जो दमा रोग होने में सहायक होते हैं।

एलर्जी बढ़ने के कारणों से बचें – अस्थमा का इलाज डॉक्टर से कराएं। इलाज के साथ ही इसके बढ़ने के कारणों से बचें, तो ही फायदा हो सकता है। दमे का परीक्षण, फेफड़ों की जांच एवं एलर्जी के कारकों का पता लगाकर किया जाता है। रोगी को एलर्जी से मुक्त करने का उपचार किया जाता है। इससे भी दमा में आराम मिलता है। धूम्रपान न करें, कोई कर रहा हो, तो उससे दूर रहें, ठंड से एवं ठंडे पेय लेने से बचें, सांस फूलने लगे ऐसा श्रम न करें।

ankit1985

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