हरी सब्जी और संतरे के फायदे

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अक्‍सर बच्‍चे हरी सब्जियों को देखकर मुंंह चिढ़ाने लगते हैं। उन्‍हें हरी सब्‍जी के नाम से ही चिढ़ होने लगती है जबकि हम जानते हैं कि बच्‍चों के लिए हरी सब्जियां कितनी फायदेमंद होती हैं। ऐसे में उन्‍हें किसी न किसी तरह से हरी सब्जियां खिलाने के तरीके ढूंढने लगते हैं। बच्‍चों को उम्र और शारीरिक गतिविधियों के आधार पर रोजाना 1 से 3 कप रंग-बिरंगी सब्जियां खानी चाहिए।
अगर आपका बच्‍चा भी हरी सब्जियां खाने में आनाकानी करता है तो कुछ टिप्‍स की मदद से आप उसके आहार ें इन्‍हें शामिल कर सकती हैं।

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हरी सब्जियां खाने हमेश खानी चाहिये और यह सबके लिये अच्छा है, विशेष कर कम उम्र के बच्चों के लिये यह बहुत ही जरूरी है|
पसंदीदा डिश में डालें

अगर आपके बच्‍चे को नूडल्‍स या कोई और डिश पसंद है तो उसमें ज्‍यादा से ज्‍यादा हरी सब्जियों का इस्‍तेमाल करें। इससे नूडल्‍स से होने वाला नुकसान कम हो जाएगा और आपके बच्‍चे को जरूरी पोषण मिल पाएगा। पिज्‍जा और बर्गर में भी आप हरी सब्जियों का प्रयोग कर सकती हैं।
​शिशु को कब खिलाना शुरू करें दही

अधिकतर बच्‍चे 4 से 6 महीने का होने पर ठोस आहार लेना शुरू कर देते हैं। ठोस आहार शुरू करने पर आप अपने बच्‍चे को दही खिलाना शुरू कर सकते हैं। बच्‍चे के लिए दही बहुत फायदेमंद होता है क्‍योंकि इसमें कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं।यह भी पढें : बच्चे को गेहूं से बने आहार कब और कैसे खिलाएं, जानें कुछ खास फायदे
बच्‍चों को दही खाने से कई तरह के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ मिलते हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है।दही में लैक्टिक एसिड होता है जो कि बच्‍चों के इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करने के लिए बहुत जरूरी है। रोज दही खाने से बीमारी पैदा करने वाले बैक्‍टीरिया पेट से नष्‍ट हो जाते हैं।दही में मौजूद लैक्टि‍क एसिड एल्‍केली एसिड को नष्‍ट कर शरीर काे संतुलित करता है। इससे पेट से जुड़ी समस्‍याएं जैसे कि गैस आदि नहीं होती है। शिशुओं में गैस की समस्‍या होना आम बात है।नियमित दही खाने से बच्‍चों को बेहतर नींद आने में मदद मिलती है। इसके अलावा दही से मालिश करने से उन्‍हें नींद भी जल्‍दी आती है।
दही खाने से न केवल दस्‍त का इलाज होता है बल्कि ये दस्‍त होने से भी रोकता है।दही बहुत पौष्टिक होता है और ये शिशु के विकास के लिए जरूरी आहार माना जाता है। इसमें विटामिन ए, सी, बी6, डी, ई और के, राइबोफ्लेविन, फोलेट एवं नियासिन होता है जो शिशु के संपूर्ण विकास में लाभकारी होते हैं।दही शिशु में मूत्र मार्ग में संक्रमण क इलाज में मदद करता है। इसमें प्रोबायोटिक होते हैं जो पेशाब करने के दौरान जलन से राहत और संक्रमण का इलाज करते हैं।बच्‍चों में पीलिया और हेपेटाइ‍टस आम समस्‍या है। ये शरीर में अमोनिया बनने के कारण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार बच्‍चों को दही खिलाने से इस तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है।
वैसे तो मार्केट में कई तरह की फ्लेवर्ड में दही आपको मिल जाएगा लेकिन शिशु के लिए सादा दही ही सबसे बेहतर होता हैं। स्‍वीटंड दही में मौजूद शुगर शिशु के विकास के लिए सही नहीं होती है क्‍योंकि इससे बच्‍चों के दांत में कीड़े और वजन से संबंधित समस्‍याएं हो सकती हैं।शिशु को फुल-फैट मिल्‍क से बनी दही देना चाहिए क्‍योंकि से शिशु के विकास के लिए जरूरी होती है।यह भी पढें : बच्‍चों को ओट्स कब और कैसे खिलाएं
अगर आपके बच्‍चे को दूध या दूध में मौजूद लैक्टोज इन्टॉलरेंस है तो डॉक्‍टर की सलाह के बिना उसे दही न खिलाएं। हालांकि, अगर आपको ये पता नहीं है कि आपके बच्‍चे को लैक्टोज इन्टॉलरेंस है तो इस बात का पता लगाने के लिए शिशु को एक बार दही खिलाकर कम से कम तीन दिन तक रुकें। अगर उसे दही से एलर्जी होगी तो आपको पता चल जाएगा।दही बहुत पौष्टिक होता है और अपने शिशु के आहार में बेझिझक दही को शामिल कर सकते हैं।यह भी पढें : बच्‍चों को किस उम्र से देना चाहिए फ्रूट जूस

खाने को न करने की आदत
भोजन के मामले में आपको अपने बच्‍चे को कुछ अच्‍छी आदतें डालनी चाहिए। उसे सिखाएं कि खाने में जो भी बना है, वो उसे खाना है। वहीं अगर बच्‍चा हरी सब्जियों को देखकर खाने से मना करता है तो ये आपकी जिम्‍मेदारी है कि आप खाने में हरी सब्जियों का इस्‍तेमाल इतनी दिलचस्‍पी से करें कि वो मना न कर पाए।

अलग आकार दें
बच्‍चे खाने को देखकर भी उसके अच्‍छे या बुरे होने का पता लगा लेते हैं। आप हरी सब्जियों को अलग आकार या रंग-रूप में पेश कर के उन्‍हें दे सकती हैं।

स्‍मूदी बनाएं
आप केल या पालक की स्‍मूदी भी बनाकर दे सकती हैं। इसमें योगर्ट का बेस दें और उसके साथलिए टेस्‍टी स्‍मूदी बन जाएगी और उन्‍हें पोषण भी मिल जाएगा।

​बच्‍चे कब खा सकते हैं अंडा

कुछ अध्‍ययनों में सामने आया है कि अंडे की जर्दी आठ महीने के बच्‍चे को खाने के लिए दी जा सकती है। हालांकि, अंडे का सफेद हिस्‍सा 12 महीने के बाद ही देना सही रहता है। फिलहाल अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्‍स (एएपी) के अनुसार जब बच्‍चा ठोस आहार खाना शुरू कर दे, तभी से उसे अंडा दिया जा सकता है। एएपी का ये भी कहना है कि चार से 6 महीने के बच्‍चों को अंडा पका कर देने से उनमें एग एलर्जी को रोका जा सकता है।यह भी पढें : अगर आपका शिशु भी निकालता है जीभ, तो इन बातों पर जरूर करें गौर

अंडे में कैल्शियम, सिलेनियम और जिंक जैसे कई खनिज पदार्थ मौजूद होते हैं जो इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करने में मदद मिलती है। बच्‍चों में नई कोशिकाओं का उत्‍पादन महत्‍वपूर्ण होता है और अंडे में फोलेट होता है जो कि कोशिकाओं के पुर्नउत्‍पादन का काम करता है। एक साल से कम उम्र के बच्‍चे को अंडे का सफेद भाग खाने को न दें।यह भी पढ़ें : उम्र के हिसाब से कितनी बार बदलें बच्‍चे का डायपर
अंडे की जर्दी में कोलाइन और कोलेस्‍ट्रोल होता है जिसका संबंध शिशु के मस्तिष्‍क के विकास से होता है। कोलेस्‍ट्रोल फैट को पचाने का काम करता है। कोलाइन हृदय और तंत्रिका तंत्र को ठीक तरह से कार्य करने में सहायता प्रदान करता है।यह भी पढें : नवजात शिशु में पीलिया के इलाज के लिए घरेलू उपचार
अंडे में ल्‍यूटिन और जीएक्‍सैंथिन जैसे एंटीऑक्‍सीडेंट होते हैं। ल्‍यूटिन आंखों को हानिकारक रोशनी और अल्‍ट्रावायलेट किरणों से पहुंचने वाले नुकसान से बचाता है। ये दोनों ही एंटीऑक्‍सीडेंट आंखों को कमजोर होने से रोकते हैं।यह भी पढें : अगर बच्चा खाना खाने में करता है आनाकानी, तो भूख बढ़ाने के लिए करें येउपाय

सूप

बच्‍चों को हरी सब्जियां खिलाने के सबसे बेहतरीन तरीकों में एक सूप भी है। आप सूप में कई तरह की सब्जियों का इस्‍तेमाल कर सकती हैं।
कटलेट
बोरिंग आलू टिक्‍की की बजाय चीज के साथ कटलेट बनाएं। बच्‍चों को चीज बहुत पसंद होती है। आप कटलेट में ब्रोकली, आलू  मटर, पालक और बंदगोभी डाल सकती हैं। इस तरह बच्‍चे को स्‍वाद के साथ-साथ पोषण भी मिल जाएगा।
अगर आपका बच्‍चा हेल्‍दी खाने को देखकर नाक-मुंह चिढ़ाता है तो अब ये आपकी जिम्‍मेदारी है कि आप उसे पोषण के साथ-साथ अच्‍छे स्‍वाद वाली चीजें खिलाएं। जो भी आपके बच्‍चे को पसंद है, आप उसमें सब्जियों का इस्‍तेमाल कर उस डिश का पोषण बढ़ा सकती हैं।

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