इम्यून सिस्टम के अहम हिस्से कौन-कौन से हैं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के आसान उपाय

इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम कई खास तरह के अंग, कोशिकाएं, उत्तक और केमिकल्स से मिलकर बना होता है ताकि वे किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने में सक्षम हो सकें। इम्यून सिस्टम के ये अहम हिस्से हैं:

  1. सफेद रक्त कोशिकाएं (वाइट ब्लड सेल्स wbc)
  2. एंटीबॉडीज
  3. पूरक तंत्र (कॉम्प्लिमेंट सिस्टम)
  4. लसीका तंत्र (लिम्फैटिक सिस्टम)
  5. स्प्लीन
  6. बोन मैरो
  7. बाल्यग्रंथि (थाइमस)

1. सफेद रक्त कोशिकाएं
हमारे इम्यून सिस्टम या प्रतिरक्षा तंत्र में सबसे अहम किरदार निभाने वाले हिस्से का नाम है सफेद रक्त कोशिकाएं (वाइट ब्लड सेल्स wbc) जिन्हें लूकोसाइट्स भी कहते हैं। ये डब्लूबीसी बोन मैरो के अंदर बनता है और लसीका तंत्र यानी लिम्फैटिक सिस्टम का हिस्सा होता है। सफेद रक्त कोशिकाएं खून और उत्तकों के माध्यम से शरीर के हर एक हिस्से तक पहुंचती हैं और बाहरी आक्रमणकारियों जैसे- बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और फंगस की खोज करती रहती हैं। जैसे ही ये बाहरी आक्रमणकारी सफेद रक्त कोशिकाओं को मिल जाते हैं वे उन पर इम्यून अटैक करती हैं।

(और पढ़ें : बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या है कैसे होता है, जानें)

सफेद रक्त कोशिकाएं 2 तरह की होती हैं:
फैगोसाइट्स :
 ये कोशिकाएं रोगाणु को घेरकर उसे सोख लेती हैं और फिर उन्हें तोड़कर खा जाती हैं। फैगोसाइट्स कोशिकाएं भी 4 तरह की होती हैं- न्यूट्रोफिल्स जो सबसे कॉमन है और बैक्टीरिया पर हमला करती हैं, मोनोसाइट्स जो सबसे बड़ी तरह की कोशिका होती है और उनका कई तरह का काम होता है, मैक्रोफेजेस जो गश्त लगाकर रोगाणुओं की खोज करती है और साथ ही में मृत कोशिकाओं को हटाने का भी काम करती है, मास्ट कोशिकाएं जो रोगाणुओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही घाव को भी भरने में मदद करती हैं।

(डॉ. नुस्खे )
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लिम्फोसाइट्स : ये कोशिकाएं पुराने आक्रमणकारियों को याद रखने और अगर वे वापस आए तो उनकी पहचान करने में शरीर की मदद करती हैं। लिम्फोसाइट्स कोशिकाएं भी 2 तरह की होती हैं- बी लिम्फोसाइट्स जो एंटीबॉडीज का निर्माण करती हैं और टी लिम्फोसाइट्स को अलर्ट करने में मदद करती हैं और दूसरी है टी लिम्फोसाइट्स जो शरीर में मौजूद जोखिम वाली कोशिकाओं को नष्ट कर दूसरी सफेद रक्त कोशिकाएं या लूकोसाइट्स की मदद करती हैं।

2. एंटीबॉडीज
एंटीबॉडीज को इम्यूनोग्लोबुलिन्स भी कहते हैं और बी लिम्फोसाइट्स द्वारा इनका निर्माण किया जाता है। एंटीबॉडीज एक तरह के प्रोटीन हैं जो रोगाणुओं से लड़ने में और उनके द्वारा उत्पन्न किए गए जहरीले तत्वों से शरीर को बचाने में मदद करते हैं। ऐसा करने के लिए वे रोगाणु की सतह पर मौजूद खास तरह के तत्व एंटीजेन की पहचान कर उस पर ताला लगा सकते हैं और उसके बाद बिना किसी मदद के उसे समाप्त भी कर सकते हैं।

(और पढ़ें : एंटीजेन और एंटीबॉडीज क्या हैं, जानें)

3. पूरक तंत्र
पूरक तंत्र या कॉम्प्लिमेंट सिस्टम पूरी तरह से प्रोटीन से बना होता है और इनका काम एंटीबॉडीज द्वारा किए गए कार्यों को बढ़ाना या उनके पूरक कार्य करना है।

4. लसीका तंत्र
लसीका तंत्र या लिम्फैटिक सिस्टम पूरे शरीर में मौजूद बेहद बारीक और नाजुक ट्यूब्स का एक तंत्र है और यह तंत्र 3 चीजों से बना होता है। पहला- लिम्फ नोड्स या ग्लैंड्स जो रोगाणुओं को जाल में फंसाता है, लिम्फ नलिका जिसमें रंगहीन तरल पदार्थ होता है जिसमें इंफेक्शन से लड़ने वाली सफेद रक्त कोशिकाएं मौजूद होती हैं और तीसरा सफेद रक्त कोशिकाएं। इस सिस्टम का प्रमुख काम है-

  • शरीर में तरल पदार्थों के लेवल को मैनेज करना
  • बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिक्रिया देना
  • कैंसर कोशिकाओं से निपटना
  • उन सेल प्रॉडक्ट्स से निपटना जिनसे बीमारी होने का खतरा हो सकता है
  • आंत से फैट को सोखना

5. स्प्लीन
स्प्लीन या तिल्ली हमारे शरीर के खून को छानने वाला अंग है जो रोगाणुओं को हटाता है और पुरानी या क्षतिग्रस्त लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। साथ ही यह इम्यून सिस्टम के बीमारी से लड़ने वाले तत्वों का भी निर्माण करता है जिसमें एंटीबॉडीज और लिम्फोसाइट्स शामिल हैं।

6. बोन मैरो
बोन मैरो या अस्थि मज्जा हड्डियों के अंदर पाया जाने वाला स्पंज के समाज एक ऊतक है। यह उन लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करता है जिनकी हमारे शरीर को जरूरत होती है ऑक्सीजन ले जाने के लिए, सफेद रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है जिसका उपयोग हमारा शरीर संक्रमण से लड़ने के लिए करता है और प्लेटलेट्स भी बनाता है जिसकी जरूरत होती है खून का थक्का बनाने में।

7. बाल्यग्रंथि या थाइमस
थाइमस हमारे खून को छानता है और ब्लड के कॉन्टेंट पर नियमित रूप से नजर भी रखता है। यह टी-लिम्फोसाइट्स नाम की सफेद रक्त कोशिकाओं का उत्पादन भी करता है।

इम्यून सिस्टम को गैर-स्वयं (नॉन सेल्फ) से स्वयं (सेल्फ) के बीच क्या अंतर है यह बताने में सक्षम होना जरूरी है। ऐसा करने के लिए इम्यून सिस्टम उन प्रोटीनों का पता लगाता है जो सभी कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं। यह प्रारंभिक अवस्था में अपने खुद को या खुद के प्रोटीन को अनदेखा करना सीखता है। ऐसे में एंटीजेन कोई भी बाहरी वस्तु या तत्व है जिसकी वजह से इम्यून रिस्पॉन्स या प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है।

बहुत से मामलों में यह एंटीजेन बैक्टीरिया हो सकता है, फंगस हो सकता है, वायरस, टॉक्सिन या कोई भी बाहरी वस्तु हो सकती है। हालांकि यह कई बार शरीर की अपनी खुद की कोशिकाएं भी हो सकती हैं जो दोषपूर्ण हो गई हों या फिर मृत हों। शुरुआत में कई तरह की कोशिकाओं की एक श्रेणी एक साथ काम करती है ताकि एंटीजेन की बाहरी आक्रमणकारी के तौर पर पहचान की जा सके।

इसमें बी लिम्फोसाइट्स की भूमिका
एक बार जब बी लिम्फोसाइट्स एंटीजेन की पहचान कर लेते हैं उसके बाद वे एंटीबॉडीज का स्त्राव शुरू करते हैं। हर एक बी कोशिका एक खास तरह के एंटीबॉडी का निर्माण करती है। उदाहरण के लिए- एक बी कोशिका निमोनिया पैदा करने वाले बैक्टीरिया के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है तो दूसरी कॉमन कोल्ड वायरस की पहचान कर सकती है।

 

ankit1985

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