जोड़ों में दर्द को ना करें नजरअंदाज, हो सकता है खतरनाक

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अक्सर लोगों को कमर में अकड़न, पीठ और जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है लेकिन वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

क्या आपको कमर में अकड़न, पीठ और जोड़ों में दर्द की शिकायत रहती है, जिसके कारण आप रात में ठीक से सो नहीं पाते हैं? अगर जोड़ों के दर्द के कारण रात में तीन-चार बजे आपकी नींद खुल जाती है और आप असहज महसूस करते हैं, तो जल्द डॉक्टर से सलाह लीजिए क्योंकि आपको स्पांडिलाइटिस की शिकायत हो सकती है. स्पांडिलाइटिस से हृदय, फेफड़े और आंत समेत शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं.

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दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के रूमैटोलोजी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. पी. डी. रथ बताते हैं कि स्पांडिलाइटिस को नजरंदाज करने से गंभीर रोगों का खतरा पैदा हो सकता है. उन्होंने बताया कि इससे बड़ी आंत में सूजन यानी कोलाइटिस हो सकता है और आंखों में संक्रमण हो सकता है. स्पांडिलाइटिस एक प्रकार का गठिया रोग है. इसमें कमर से दर्द शुरू होता है और पीठ और गर्दन में अकड़न के अलावा शरीर के निचले हिस्से जांघ, घुटना व टखनों में दर्द होता है. रीढ़ की हड्डी में अकड़न बनी रही है. स्पांडिलाइटिस में जोड़ों में इन्फ्लेमेशन यानी सूजन और प्रदाह के कारण असह्य पीड़ा होती है.

डॉ. रथ ने बताया कि नौजवानों में स्पांडिलाइटिस की शिकायत ज्यादा होती है. आमतौर पर 45 से कम उम्र के पुरुषों और महिलाओं में स्पांडिलाइटिस की शिकायत रहती है.

एंकिलोसिंग स्पांडिलाइटिस गठिया का एक सामान्य प्रकार है जिसमें रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और कशेरूक में गंभीर पीड़ा होती है जिससे बेचैनी महसूस होती है. इसमें कंधों, कुल्हों, पसलियों, एड़ियों और हाथों व पैरों के जोड़ों में दर्द होता है. इससे आखें, फेफड़े, और हृदय भी प्रभावित होते हैं.

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बच्चों में जुवेनाइल स्पांडिलोअर्थ्राइटिस होता है जोकि 16 साल से कम उम्र के बच्चों में पाया जाता है और यह वयस्क होने तक तकलीफ देता है. इसमें शरीर के निचले हिस्से के जोड़ों में दर्द व सूजन की शिकायत रहती है. जांघ, कुल्हे, घुटना और टखनों में दर्द होता है. इससे रीढ़, आंखें, त्वचा और आंत को भी खतरा पैदा होता है. थकान और आलस्य का अनुभव होता है.

डॉ. रथ ने बताया, स्पांडिलाइटिस से पीड़ित लोगों को रात में नींद नहीं आती है और जोड़ों में दर्द होने से सुबह तीन-चार बजे नींद खुल जाती है और बेचैनी महसूस होती है.

स्पांडिलाइटिस मुख्य रूप से जेनेटिक म्युटेशन के कारण होता है. एचएलए-बी जीन शरीर के प्रतिरोधी तंत्र को वाइरस और बैक्टीरिया के हमले की पहचान करने में मदद करता है लेकिन जब जीन खास म्युटेशन में होता है तो उसका स्वस्थ प्रोटीन संभावित खतरों की पहचान नहीं कर पाता है और यह प्रतिरोधी क्षमता शरीर की हड्डियों और जोड़ों को निशाना बनाता है, जो स्पांडिलाटिस का कारण होता है. हालांकि अब तक इसके सही कारणों का पता नहीं चल पाया है.

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उन्होंने कहा कि जब जोड़ों में दर्द की शिकायत हो तो उसकी जांच करवानी चाहिए क्योंकि इससे उम्र बढ़ने पर और तकलीफ बढ़ती है.

एचएलए-बी 27 जांच करवाने से स्पांडिलाइटिस का पता चलता है. एचएलए-बी 27 एक प्रकार का जीन है जिसका पता खून की जांच से चलता है. इसमें खून का सैंपल लेकर लैब में जांच की जाती है. इसके अलावा एमआरआई से भी स्पांडिलाइटिस का पता चलता है.

स्पांडिलाइटिस का पता चलने पर इसका इलाज आसान हो जाता है. ज्यादातार मामलों का इलाज दवाई और फिजियोथेरेपी से हो जाता है. कुछ ही गंभीर व दुर्लभ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

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ankit1985

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