भारत के समस्त मैदानी प्रदेशों में पायी जाने वाली एक जंगली बेल है | यह वर्षा ऋतू में मैदानी क्षेत्रों में अपने आप उग आती है , ज्यादातर हिमालय के निचले हिस्सों में होती है जंहा मैदानी प्रदेश होता है | इसके पत्ते 6 से 9 इंच लम्बे लट्टूवाकार और स्पष्ट पर्शिविक सिराओं से युक्त होते है |

Pak बिना डॉक्टर के पर्चे द्वारा मिलने वाली आयुर्वेदिक दवा है, जो मुख्यतः कमजोरी, बांझपन, नपुंसकता के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। के मुख्य घटक हैं गोखरू, चित्रक, अकरकरा, अश्वगंधा, खरैटी (बला), हरीतकी, जायफल, बंग भस्म (वंग भस्म), तेजपत्र जिनकी प्रकृति और गुणों के बारे में नीचे बताया गया है। की उचित खुराक मरीज की उम्र, लिंग और उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली समस्याओं पर निर्भर करती है। यह जानकारी विस्तार से खुराक वाले भाग में दी गई है।
चित्रक =एजेंट या तत्व जो सूजन को कम करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।गठिया के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं।ये दवाएं जठरांत्र से अनावश्यक गैस को हटाने में मदद करती हैं।
अकरकरा= सूजन को कम करने वाली दवाएं।वे दवाएं जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल मार्ग से अत्यधिक गैस को निकालने में मदद करती हैं।

बाला=ये एजेंट रूमेटाइड आर्थराइटिस की वृद्धि को नियंत्रण में रखने के लिए उपयोग किए जाते हैं। ऐसा पदार्थ जिसमें यौन इच्छा को तीव्र करने की क्षमता होती है।
जायफल=दस्त के लक्षणों को ठीक करने वाली दवाएं।
बंग भस्म (वंग भस्म) =दवाएं जो शुगर के दौरन होने वाले ब्लड शुगर को नियंत्रित करती हैं। ये एजेंट पेनाइल इरेक्शन (लिंग उत्तेजना) में मदद करते हैं।
कौंच एवं कौंच बीज चूर्ण को आयुर्वेद में रसायन के रूप में प्रयोग किया जाता है | पुराने समय से ही कौंच एवं कौंच पाक आदि का इस्तेमाल देशी रसायन के रूप में किया जाता रहा है | आयुर्वेद में सर्दियों के मौसम में गोंद के लड्डू, ग्वारपाठे के लड्डू, मेथी के लड्डू आदि का प्रयोग सेहत एवं स्वास्थ्य के लिए किया जाता है |

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Wed Jan 20 , 2021
सर्दियों का मौसम, यानी कई तरह की बीमारियां। सर्दी, जुकाम, बुखार सर्दियों में होने वाली वो बीमारियां हैं, जो दिखने में तो सामान्य होती हैं, लेकिन आपके शरीर को कई तरह के नुकसान पहुंचाती हैं और धीरे-धीरे शरीर को कमजोर बनाने लगती हैं। खासकर इम्यून सिस्टम पर इन बीमारियों का […]