संकष्टी चतुर्थी आज:भविष्य पुराण के मुताबिक इस व्रत से हर तरह के कष्ट होते हैं दूर, बीमारियों में भी राहत मिलती है

वैवाहिक सुख और परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है ज्येष्ठ महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत

ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि सौभाग्य देनी वाली है। इस दिन आखु रथा नामक यानी चूहे पर सवार गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इस दिन घी से बनी चीजें यानी हलवा, लड्डू, पूड़ी आदि बनाकर गणेश जी को अर्पित करें। ब्राह्मण भोजन के बाद फिर खुद भोजन करें। इस संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

महत्व – भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर हो जाते हैं। ज्येष्ठ महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को चंद्रमा को अर्घ्य देने से सौभाग्य और वैवाहिक सुख मिलता है। इसके साथ ही शारीरिक परेशानियां भी दूर हो जाती है। मनोकामनाएं पूरी करने और हर तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ये संकष्टी व्रत किया जाता है। ज्येष्ठ महीने की इस चतुर्थी पर व्रत और पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कथा – सतयुग में सौ यज्ञ करने वाले राजा पृथु थे। उनके राज्य में दयादेव नाम का ब्राह्मण था। जो वेदों का जानकार था। उसके चार पुत्र थे। पिता ने अपने पुत्रों का विवाह कर दिया। उन चार बहुओं में बड़ी बहु ने एक दिन अपनी सास से कहा मैं बचपन से ही संकटनाशक गणेश चतुर्थी व्रत कर रही हूं। इसलिए आप मुझे यहां भी ये व्रत करने की अनुमति दें।

बहुत की बात सुनकर उसके ससुर ने कहा तुम बड़ी हो। तुम्हें कोई कष्ट नहीं है। किसी चीज की भी कमी नहीं है। तो व्रत क्यों करना चाहती हो। अभी तुम्हारा समय उपभोग करने का हैं। कुछ समय बाद वो बहु गर्भवती हो गई। उसने सुन्दर बालक को जन्म दिया। उसके बाद भी उसकी सास ने व्रत करने को मना किया।

(डॉ. नुस्खे )
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जब उसका पुत्र बड़ा हो गया तब विवाह के समय उसकी बुद्धि भटक गई और वो कहीं चला गया। इस अनहोनी घटना से सब लोग व्याकुल होकर कहने लगे-लड़का कहां गया? किसने अपरहण कर लिया। बारातियों द्वारा ऐसा समाचार पाकर उसकी माता अपने ससुर दयादेव से कहने लगी। आपने मेरा गणेश चतुर्थी का व्रत छुड़वा दिया, जिसके परिणाम से ही पुत्र गायब है।

इस बात से ससुर बहुत दुखी हुए। इसके बाद बहु ने संकटनाशक गणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प किया और वो लड़का वापस आ गया। इसके बाद बहु हमेशा ये व्रत करने लगी। इसके प्रभाव से उसके संकट खत्म हो गए।

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