स्ट्रेस की वजह से होनेवाले माइग्रेन से बचाव के उपाय

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आमतौर पर ज्यादा काम, तनाव या कुछ अन्य स्थितियों के कारण सिरदर्द की समस्या होना सामान्य सी बात है। पर हर सिरदर्द को सामान्य मान लेना सही नहीं है, कुछ प्रकार के सिरदर्द माइग्रेन का कारण भी हो सकते हैं। माइग्रेन एक विशेष प्रकार की समस्या है जिसमें लोगों को गंभीर सिरदर्द के साथ कुछ अन्य लक्षणों जैसे मतली-उल्टी, प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। माइग्रेन की समस्या, किसी भी उम्र में हो सकती है, इसलिए सभी लोगों को इसके लक्षणों के बारे में जानकर सावधान रहने की आवश्यक है।

डॉक्टरों के मुताबिक माइग्रेन के कारण लोगों का सामान्य जीवन प्रभावित हो सकता है। कुछ लोगों को माइग्रेन की समस्या अक्सर होती रह सकती है। साल 2018 में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 15 फीसदी से ज्यादा वयस्क माइग्रेन की समस्या के शिकार हैं। वहीं 2015 के आंकड़ों में पाया गया कि 19 फीसदी महिलाएं जबकि 9 फीसदी पुरुषों में इस समस्या के होने का खतरा रहता है। कुछ लोगों को आनुवांशिक रूप से भी यह समस्या हो सकती है। आइए इस लेख में माइग्रेन की समस्या के बारे में विस्तार से समझते हैं।

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माइग्रेन के क्या लक्षण होते हैं?
डॉक्टरों के मुताबिक माइग्रेन की समस्या कई चरणों में हो सकती है, इसी के आधार पर इसके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। सामान्यतौर पर लोगों को माइग्रेन में इस तरह की दिक्कतों का अनुभव हो सकता है।

  • सिरदर्द जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। कई लोगों में दर्द की समस्या सिर के साथ आंखों के आसपास भी हो सकती है।
  • दर्द के कारण नियमित कार्यों को करने में असमर्थता।
  • प्रकाश और ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि। अंधेरे और शांत कमरे में लेटने से राहत मिलती है।
  • जी मिचलाना- उल्टी महसूस होना।
  • चक्कर आना या बेहोशी महसूस करना

माइग्रेन का दर्द सबसे अधिक माथे के क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसके अलावा यह सिर के एक तरफ या दोनों तरफ शिफ्ट हो सकता है। इस तरह की समस्या 3-4 घंटे में ठीक हो जाती है। कुछ लोगों में यह कुछ दिनों तक भी बनी रह सकती है।

क्यों होती है माइग्रेन की समस्या?
डॉक्टर कहते हैं, माइग्रेन की समस्या लोगों में अलग-अलग कारणों से हो सकती है। वैसे तो इसे आनुवांशिक माना जाता है पर कुछ और स्थितियां हैं जो माइग्रेन को ट्रिगर कर सकती हैं।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं में मासिक धर्म के समय होने वाले हार्मोनल परिवर्तन के कारण भी माइग्रेन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा तनाव, अवसाद, चिंता और उत्तेजना जैसी स्थितियां भी माइग्रेन को बढ़ावा दे सकती हैं। कई अध्ययनों में पाया गया है कि जो लोग शराब, कैफीन, चॉकलेट आदि का सेवन अधिक करते हैं, उनमें भी माइग्रेन का खतरा अधिक हो सकता है।

सबसे खास बात कई प्रकार के पर्यावरणीय कारक जैसे टिमटिमाती स्क्रीन, तेज गंध, तेज आवाज, तापमान में बदलाव और तेज रोशनी भी माइग्रेन का कारण बन सकती है।

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माइग्रेन का इलाज क्या है?
डॉक्टर कहते हैं कि वैसे तो माइग्रेन की समस्या को ठीक करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं है, फिऱ भी रोगी को कुछ प्रकार की दर्द निवारक या उल्टी को रोकने वाली दवाइयां दी जाती है, जिससे उन्हें राहत मिल सकती है। कई लोगों को शांत और अंधेरे कमरे में सोने से भी इस समस्या में राहत मिल जाती है। डॉक्टर कहते हैं कि माइग्रेन के समय किसी भी प्रकार के स्क्रीन जैसे फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इससे दर्द बढ़ सकता है।

माइग्रेन से बचाव कैसे कर सकते हैं?
डॉक्टरों के मुताबिक जिन लोगों को माइग्रेन का समस्या होती रहती है उन्हें इसके ट्रिगर करने वाले कराकों की पहचान कर उनसे दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। पर्याप्त नींद लेने, तनाव को कम करने, ढेर सारा पानी पीना पीने जैसी आदतों को प्रयोग में लाकर माइग्रेन से बचा जा सकता है। नियमित रूप से व्यायाम करके भी आप इस समस्या से काफी हद तक सुरक्षित रह सकते हैं। यदि आपको माइग्रेन के समय में कुछ भी आसामान्य सी समस्या हो तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।

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