शिव और शक्ति के मिलान का महाहपर्व शिवरात्रि को अपनाए उपाए करने से होंगे शिव जी प्रसन्न 01 मार्च 2022

Mahashivratri 2022 Date : हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है. चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत रखने का विशेष महत्व होता है.
शिवरात्रि शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व है। इस पुण्यतमा तिथि का दूसरा पक्ष ईशान संहिता में इस प्रकार बताया गया है- शिवलिङ्गतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:।
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान परम तेजस्वी लिंग के रूप में प्रकट हुए।
शिवपुराण की विद्येश्वर संहिता में वर्णित कथा के अनुसार शिवजी के निष्कल (निराकार) स्वरूप का प्रतीक लिंग इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था। इसी कारण यह तिथि शिवरात्रि के नाम से विख्यात हो गई।

फ्री आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स ग्रुप जॉइन करने के लिए click करें

https://www.facebook.com/groups/guptrogonkailaj

जो भक्त शिवरात्रि को दिन-रात निराहार एवं जितेंद्रिय होकर अपनी पूर्ण शक्ति व साम‌र्थ्य द्वारा निश्चल भाव से शिवजी की यथोचित पूजा करता है, वह वर्षपर्यंत शिवपूजन करने का संपूर्ण फल मात्र शिवरात्रि को सविधि शिवार्चन से तत्काल प्राप्त कर लेता है।
(डॉ. नुस्खे )
Delhi 7455896433
डॉ नुस्खे अश्वगंधा रोज़ाना सुबह शाम 1-1 चमच्च दूध के साथ खाए और अपनी ताकत, immunity बढ़ाएं
डॉ नुस्खे अश्वगंधा आर्डर करने के लिए लिंक पर क्लिक करें या WhatsApp 7455-896-433 और पाएं पूरे भारत में डिलीवरी
शिवपुराण की कोटिरुद्र संहिता में शिवरात्रि व्रत की विधि एवं महिमा का वर्णन तथा अनजाने में शिवरात्रि व्रत करने से भील पर भगवान शंकर की अद्भुत कृपा होने की कथा मिलती है। भोलेनाथ के समस्त व्रतों में शिवरात्रि सर्वोच्च पद पर आसीन है। भोग और मोक्ष की कामना करने वालों को इस व्रतराज का पालन अवश्य करना चाहिए। देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न रखने वाले सभी मनुष्यों के लिए यह शिवरात्रि व्रत सर्वश्रेष्ठ है।
स्कन्द पुराण में इस महाव्रत की प्रशंसा में कहा गया है-
परात् परतरंनास्तिशिवरात्रिपरात्परम्।
यह शिवरात्रि व्रत परात्पर है अर्थात इसके समान दूसरा कोई और व्रत नहीं है।
स्कन्द पुराण के नागर खंड में ऋषियों के पूछने पर सूतजी कहते हैं- माघ मास की पूर्णिमा के उपरांत कृष्णपक्ष
में जो चतुर्दशी तिथि आती है, उसकी रात्रि ही शिवरात्रि है। उस समय सर्वव्यापी भगवान शिव समस्त शिवलिंगों में विशेष रूप से संक्रमण करते हैं।
डॉ नुस्खे गिलोय घर बैठे आर्डर करने के लिए क्लिक करें All इंडिया डिलीवरी whatsapp no 7455896433
कलियुग में यह व्रत थोड़े से ही परिश्रम से साध्य होने पर भी महान पुण्यप्रद तथा सब पापों का नाश करने वाला है। जिस कामना को मन में लेकर मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान करता है, वह मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
इस लोक में जो चल अथवा अचल शिवलिंग हैं, उन सबमें उस रात्रि को भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है इसीलिए इस महारात्रि को शिवरात्रि कहा गया है। इस 1 दिन उपवास रखते हुए शिवार्चन करने से सालभर के पापों से शुद्धि हो जाती है।
जो मनुष्य शिवरात्रि में भगवान शंकर की 5 मंत्रों से पंचोपचार विधिपूर्वक गंध (सफेद चंदन), पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाते हुए पूजा करता है, वह निस्संदेह पापरहित हो जाता है।

जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, सायटिका का दर्द की आयुर्वेदिक उपचार किट Dr Nuskhe Joint Pain kit ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें*

https://waapp.me/wa/JP59ir2E

 

ये मंत्र हैं-
ॐ सद्योजाताय नम:।
ॐ वामदेवाय नम:।
ॐ अघोराय नम:।
ॐ ईशानाय नम:।
ॐ तत्पुरुषाय नम:।
इस दिन व्रत करने वाले स्त्री-पुरुष स्नानादि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर सर्वप्रथम शिवपुत्र श्री गणेश का स्मरण करके शिवालय या घर में शिवलिंग के सम्मुख व्रत का संकल्प करें। शिवरात्रि के व्रत में उपवास करते हुए रातभर जागने से भगवान शंकर की अनुकंपा अवश्य प्राप्त होती है।
अगर आप भी मोटापे से छुटकारा पाना चाहते है से परेशान तो आज ही नीचे दिए लिंक को क्लिक करें और पायें आकर्षक फिगर ✍
मोटापे को जड़ से खत्म करने की आयुर्वेदिक🌱👍 उपचार किट ऑर्डर करने के लिए क्लिक✍ करें घर बैठे 50 दिन की 100% आयुर्वेदिक बिना साइड इफेक्ट के Dr Nuskhe Weight Control Kit ऑर्डर करने के लिए click करें
मूल्य 1097 पूरे भारत में delivery 7455896433

इस संदर्भ में स्वयं शिवजी का यह कथन है- फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अर्द्धरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी की रात्रि (महाशिवरात्रि) में जागरण, उपवास और आराधना से मुझे जितनी संतुष्टि प्राप्त होती है, उतनी किसी अन्य साधना से नहीं। कलियुग में मुझे प्राप्त करने का यह सबसे सरल व सुगम उपाय है।
संस्कृतज्ञशुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी के सस्वर पाठ के साथ रुद्राभिषेक करें। साम‌र्थ्यवान सुयोग्य आचार्य के माध्यम से रुद्रार्चन कर सकते हैं। अन्य लोग पंचाक्षर मंत्र (नम: शिवाय) द्वारा पवित्र जल, गोदुग्ध, पंचामृत आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें।
शिवरात्रि के चारों प्रहरों में पृथक पूजन का भी विशेष विधान है। रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध से, दूसरे प्रहर में दही से, तीसरे प्रहर में घी से तथा चतुर्थ (अंतिम) प्रहर में शहद द्वारा शिवलिंग का अभिषेक करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। रातभर जागने वाले भक्त शिव नाम, पंचाक्षर मंत्र अथवा शिव स्तोत्र का आश्रय लेकर रात्रि जागरण सफल कर सकते हैं। शिवरात्रि में सोना अनंत पुण्य राशि को खोना है इसलिए यत्नपूर्वक रात्रि जागरण अवश्य करें।
लेकिन जो लोग किसी कारणवश रातभर जगने में असमर्थ हों वे शिवरात्रि की अर्द्धरात्रि में उपलब्ध होने वाले महानिशीथकाल में पूजन करने के उपरांत ही शयन करें।
शिवजी को बिल्वपत्र विशेष प्रिय हैं अत: कम से कम 11 अखंडित बिल्वपत्र शिवलिंग पर अवश्य चढ़ाएं। भगवान शंकर को आक, कनेर, मौलसिरी, धतूरा, कटेली, छोंकर के फूल चढ़ाए जाते हैं।
शिवपुराण में लिखा है कि देवाधिदेव महादेव की जिन अष्ट मूर्तियों से यह अखिल ब्रह्मांड व्याप्त है, उन्हीं से संपूर्ण विश्व की सत्ता संचालित हो रही है।
भगवान शिव की इन अष्ट मूर्तियों को इन्हीं 8 मंत्रों से पुष्पांजलि दें-
ॐ शर्वायक्षितिमू‌र्त्तये नम:।
ॐ भवायजलमू‌र्त्तये नम:।
ॐ रुद्रायअग्निमू‌र्त्तये नम:।
किडनी या गॉल ब्लैडर में पथरी को आयुर्वेदिक उपचार किट से खत्म करने के लिए Dr. Nuskhe Stone Killer किट ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें 
ॐ उग्रायवायुमू‌र्त्तये नम:।
ॐ भीमायआकाशमू‌र्त्तये नम:।
ॐ पशुपतयेयजमानमू‌र्त्तये नम:।
ॐ महादेवायसोममू‌र्त्तये नम:।
ॐ ईशानायसूर्यमू‌र्त्तये नम:।
पुराणों के मत से शिवरात्रि व्रत मात्र शैवों के लिए ही नहीं वरन वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, सौर आदि सभी संप्रदायों के मतावलंबियों के लिए भी अनिवार्य है। प्राचीनकाल में राजा भरत, मांधाता, शिवि, नल, नहुष, सगर, युयुत्सु, हरिश्चंद्र आदि महापुरुषों ने तथा स्त्रियों में लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती, रति आदि देवियों ने भी शिवरात्रि व्रत का श्रद्धापूर्वक पालन किया था। इस लोक के सभी पुण्य कर्म इस व्रतराज की समानता नहीं कर सकते।
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अर्द्धरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी महाशिवरात्रि से प्रारंभ करके वर्षपर्यंत प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष में मध्यरात्रि व्यापिनी चतुर्दशी मासिक शिवरात्रि में व्रत करते हुए शिवार्चन करने से असाध्य कार्य भी सिद्ध हो जाता है। कुंआरियों के लिए विवाह का सुयोग बनता है। विवाहितों के दांपत्य जीवन की अशांति दूर होती है।
वस्तुत: शिवरात्रि भगवान शंकर के सान्निध्य का स्वर्णिम अवसर प्रदान करती है। इस अमोघ व्रत के फलस्वरूप जीव शिवत्व की प्राप्ति से भगवान शिव का सायुज्य अर्जित कर लेता है।
जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, सायटिका का दर्द की आयुर्वेदिक उपचार किट Dr Nuskhe Joint Pain kit ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें*

आज 11 मार्च को महाशिवरात्रि है। शिवभक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन खास होता है। महाशिवरात्रि के दिन शिवभक्त घर और मंदिरों में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भोलेनाथ की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं। आज के दिन महादेव की पूजा में शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कहा जाता है कि प्रदोष काल या शुभ मुहूर्त में पूजा करने से पूजा का फल कई गुना मिलता है। जानिए महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा का शुभ मुहूर्त, शिव पुराण में वर्णित शिवरात्रि व्रत कथा और पूजा विधि-

महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि 2022, पूजा मुहूर्त, पारण का समय जान लें

महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.

पहला प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है.

दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.

तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है.

चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है.

पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है.

अब कोई नहीं होगा समय से पहले गंजा बालों की समस्या भी होगी दूर Norogi keshnath capsule Oil kit गंजेपन में लाभदायक, नए बाल उगाने में असरदार, बालों का टूटना, झड़ना , रूसी से छुटकारा पाने के लिए
घर बैठे Hair Care Kit ऑर्डर करने के लिए क्लिक करें👇👇

महाशिवरात्रि व्रत पूजा विधि-

1. मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि जालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
2. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
3. शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

महाशिवरात्रि व्रत कथा-

शिव पुराण के अनुसार, प्राचीन काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था। जानवरों की हत्या करके वह अपने परिवार को पालता था। वह एक साहूकार का कर्जदार था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका। क्रोधित साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया। संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी। साहूकार के घर पूजा हो रही थी तो शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक बातें सुनता रहा। चतुर्दशी को उसने शिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनी।

शाम होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात की। शिकारी अगले दिन सारा ऋण लौटा देने का वचन देकर बंधन से छूट गया। अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकला। लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था। शिकार खोजता हुआ वह बहुत दूर निकल गया। जब अंधेरा गया तो उसने विचार किया कि रात जंगल में ही बितानी पड़ेगी। वह वन एक तालाब के किनारे एक बेल के पेड़ पर चढ़ कर रात बीतने का इंतजार करने लगा।

बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढंका हुआ था। शिकारी को उसका पता न चला। पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ीं, वे संयोग से शिवलिंग पर गिरती चली गई। इस प्रकार दिनभर भूखे-प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिल्वपत्र भी चढ़ गए। एक पहर रात्रि बीत जाने पर एक गर्भिणी हिरणी तालाब पर पानी पीने पहुंची।

शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़ाकर ज्यों ही प्रत्यंचा खींची, हिरणी बोली, ‘मैं गर्भिणी हूँ। शीघ्र ही प्रसव करूंगी। तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे, जो ठीक नहीं है। मैं बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाऊंगी, तब मार लेना।’

शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और हिरणी जंगली झाड़ियों में लुप्त हो गई। प्रत्यंचा चढ़ाने तथा ढीली करने के वक्त कुछ बिल्व पत्र अनायास ही टूट कर शिवलिंग पर गिर गए। इस प्रकार उससे अनजाने में ही प्रथम प्रहर का पूजन भी सम्पन्न हो गया।

कुछ ही देर बाद एक और हिरणी उधर से निकली। शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया। तब उसे देख हिरणी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया, ‘हे शिकारी! मैं थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूं। कामातुर विरहिणी हूं। अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं। मैं अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाऊंगी।’

शिकारी ने उसे भी जाने दिया। दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका। वह चिंता में पड़ गया। रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था। इस बार भी धनुष से लग कर कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर जा गिरे तथा दूसरे प्रहर की पूजन भी सम्पन्न हो गई।

तभी एक अन्य हिरणी अपने बच्चों के साथ उधर से निकली। शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था। उसने धनुष पर तीर चढ़ाने में देर नहीं लगाई। वह तीर छोड़ने ही वाला था कि हिरणी बोली, ‘हे शिकारी!’ मैं इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आऊंगी। इस समय मुझे मत मारो।

शिकारी हंसा और बोला, सामने आए शिकार को छोड़ दूं, मैं ऐसा मूर्ख नहीं। इससे पहले मैं दो बार अपना शिकार खो चुका हूं। मेरे बच्चे भूख-प्यास से व्यग्र हो रहे होंगे। उत्तर में हिरणी ने फिर कहा, जैसे तुम्हें अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी। हे शिकारी! मेरा विश्वास करों, मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूं।

हिरणी का दीन स्वर सुनकर शिकारी को उस पर दया आ गई। उसने उस मृगी को भी जाने दिया। शिकार के अभाव में तथा भूख-प्यास से व्याकुल शिकारी अनजाने में ही बेल-वृक्ष पर बैठा बेलपत्र तोड़-तोड़कर नीचे फेंकता जा रहा था। पौ फटने को हुई तो एक हृष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया। शिकारी ने सोच लिया कि इसका शिकार वह अवश्य करेगा।

शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, हे शिकारी! यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तीन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो, ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दुख न सहना पड़े। मैं उन हिरणियों का पति हूं। यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो। मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा।

मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया, उसने सारी कथा मृग को सुना दी। तब मृग ने कहा, ‘मेरी तीनों पत्नियां जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्ध होकर गई हैं, मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी। अतः जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है, वैसे ही मुझे भी जाने दो। मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूं।’

शिकारी ने उसे भी जाने दिया। इस प्रकार प्रात: हो आई। उपवास, रात्रि-जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से अनजाने में ही पर शिवरात्रि की पूजा पूर्ण हो गई। पर अनजाने में ही की हुई पूजन का परिणाम उसे तत्काल मिला। शिकारी का हिंसक हृदय निर्मल हो गया। उसमें भगवद्शक्ति का वास हो गया।

थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया, ताकि वह उनका शिकार कर सके।, किंतु जंगली पशुओं की ऐसी सत्यता, सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभावना देखकर शिकारी को बड़ी ग्लानि हुई। उसने मृग परिवार को जीवनदान दे दिया।

अनजाने में शिवरात्रि के व्रत का पालन करने पर भी शिकारी को मोक्ष की प्राप्ति हुई। जब मृत्यु काल में यमदूत उसके जीव को ले जाने आए तो शिवगणों ने उन्हें वापस भेज दिया तथा शिकारी को शिवलोक ले गए। शिव जी की कृपा से ही अपने इस जन्म में राजा चित्रभानु अपने पिछले जन्म को याद रख पाए तथा महाशिवरात्रि के महत्व को जान कर उसका अगले जन्म में भी पालन कर पाए।

महाशिवरात्रि के दिन करें ये काम-

1. महाशिवरात्रि के दिन व्रत या उपवास करना चाहिए।
2. सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़ों को धारण करना चाहिए।
3. शुभ मुहूर्त में मंदिर जाकर महादेव को जल और दूध अर्पित करना चाहिए।
4. महाशिवरात्रि के दिन ओम नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।
5. इस दिन व्रती को अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।

महाशिवरात्रि के दिन क्या न करें-

1. महाशिवरात्रि के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. महाशिवरात्रि के दिन देर रात तक नहीं सोना चाहिए।
3. महाशिवरात्रि के दिन दाल, चावल या गेहूं से बना अन्न नहीं ग्रहण करना चाहिए।
4. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
5. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव को अर्पित प्रसाद नहीं खाना चाहिए।

रोग मुक्त भारत हर ग्रुप में शेयर करें
फ्री आयुर्वेदिक हेल्थ टिप्स ग्रुप जॉइन करने के लिए click करें

ankit1985

Loading...

Next Post

आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर सकती है ये गलतिया

Thu Mar 11 , 2021
1 आपका तनाव आपके इम्‍यूनिटी सिस्‍टम को खराब करता है अगर आप हर बात को लेकर बहुत ज्‍यादा तनाव ग्रस्‍त हो जाती हैं, फि‍र चाहें वह चेहरे पर उग आया नया पिंपल हो या काम की नजदीक आती डेडलाइन। रिश्‍तों का थोड़ा सा भी तनाव आपको परेशान कर देता है, तो […]
Loading...

Breaking News

Loading...